आज दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी परिसंघ (डोमा) की ओर से संभल के महरूम परिवार से मिलने एक प्रतिनिधि मंडल जा रहा था, जिसे पुलिस ने उ.प्र. और दिल्ली सीमा पर रोक दिया। प्रतिनिधि मंडल की ओर से नेतृत्व डोमा परिसंघ के चेयरमैन- डॉ उदित राज, महासचिव- श्री शाहिद अली, राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर - एडवोकेट सतीश सांसी और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ए. पी. ख़ान आदि कर रहे थे। संभल प्रशासन को इसकी जानकारी 7 दिसंबर को शाम को ही दी जा चुकी थी। संभल पुलिस अधीक्षक ने इसे रोके जाने हेतु चिट्ठी उसी दिन निकाल दी थी।
डॉ. उदित राज के नेतृत्व में आज 192, नार्थ एवेन्यू, एमपी फ्लैट्स, नई दिल्ली से करीब 12 बजे 30 कारों का काफिला रवाना हुआ। जैसे ही गाजियाबाद सीमा पर पहुँचे, वहाँ खड़ी भारी पुलिस बल ने रोका। और रोकते हुए 7 दिसंबर को अनुमति रद्द करने वाली नोटिस को तामील किया। इसके पहले श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व में एक क़ाफ़िला संभल में महरूम परिवार से मिलने जा रहा था, उसे भी रोका गया था।
दलित , ओबीसी, माइनॉर्टीज़ और आदिवासी परिसंघ एक गैर राजनीतिक संगठन है। करीब 100 लोग आज इन्ही वर्गों से थे, अगर पीड़ित परिवार से मिलकर हाल-चाल जान लेते तो कौन सा सरकार संकट मे पड़ जाती। यह भी नहीं है कि हम राजनीतिक लोग हैं और इसका वोट बैंक पर असर पड़ता। सरकार इस्लामों फोबिया का भय दिखाकर मूल मुद्दे से देश के लोगों को भटकाना चाहती है। क्या हमारा कर्तव्य इतना भी नहीं बनता कि हम पीड़ित परिवार को मिलकर जानकारी लेते। यह लोक तंत्र की हत्या नहीं तो क्या है? संविधान खतरे हैं। मुस्लिम और ईसाई पर हमले ज़्यादा तेज हुए हैं और इसके पीछे कुछ लोगों का राजनीतिक लाभ छुपा हुआ है।
डॉ. उदित राज जी ने आगे कहा कि अब न केवल राजनीतिक दल को लड़ना है बल्कि सिविल सोसाइटी को आगे आना होगा। जब बोलने की आज़ादी खत्म होती है या बेरोजगारी बढ़े और मंहगाई की मार पड़े तो आम नागरीक पर असर पड़ता है तो ऐसे में डोमा परिसंघ कैसे चुप रहा सकता है।
सी. एल. मौर्य
निजी सचिव
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