डॉ. उदित राज, ने कहा कि डॉ. अंबेडकर और गांधी की प्रतिमा संसद के प्रमुख स्थान से हटा दिया गया ताकि इनके प्रभाव को खत्म किया जा सके।



डॉ. उदित राज, पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय चेयरमैन, दलित, ओबीसी एवं माइनॉरिटी परिसंघ (DOM परिसंघ) ने कहा कि डॉ. अंबेडकर और गांधी की प्रतिमा संसद के प्रमुख स्थान से हटा दिया गया ताकि इनके प्रभाव को खत्म किया जा सके। जितने महापुरुषों की मूर्तियाँ संसद के परिसर में लगी हैं, सभी का पूरा सम्मान है लेकिन कुछ मामलों में गांधी जी और डॉ. अंबेडकर के योगदान अलग हैं, मोदी सरकार चाहती है कि इनके क़द को छोटा किया जाये। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और लगातार इसका विरोध जारी रहेगा। डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने के लिए भीषण संघर्ष हुआ था, तब जाकर 1967 में मूर्ति स्थापित की जा सकी । जब मूर्ति लगाई जा रही थी तो क्या उस समय सोच-समझ कर नहीं किया गया होगा ? वास्तव में मोदी सरकार ज्यादातर विरासत को नष्ट करने में लगी है। ख़ुद महान बनने के इरादे से ये सारे विनाश कार्य किए जा रहे है । 26 जून को तमाम संगठनों के द्वारा जंतर-मंतर, नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा ।

डॉ. उदित राज जी ने आगे कहा कि चाहे संविधान ख़त्म हो जाये या बाबा साहेब की मूर्ति खंडित हुई हो या आरक्षण ख़त्म हो जाये, सरकारी प्रतिष्ठान और विभागों का निजीकरण हो या संवैधानिक संस्थाएँ कमजोर कर दी जायें या और कोई बड़ी क्षति या अन्याय हो, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो सुश्री मायावती को न बोलना है न पार्टी के लोगों को बोलने का अधिकार देना है। बीजेपी की मदद करने में सारी पार्टी का सत्यानाश कर दिया गया है। कांशीराम जी की अनुवाई और बहुजन सुखाय और बहुजन हिताय में जो यक़ीन करते हैं फिर से उन्हे एक होना होगा। ऐसे लोगों को एक विकल्प बनाना चाहिए। 22 जून को कांस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में देश के चिंतक और समाज के प्रमुख व सक्रिय लोग मिल रहे है ताकि फिर से बहुजन आंदोलन खड़ा किया जाये l

श्री राजेंद्र पाल गौतम, MLA (AAP), पूर्व मंत्री - दिल्ली सरकार, ने संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर और गांधी जी की मूर्ति सबसे प्रमुख स्थान पर स्थापित की गई थी । वह स्थान लोकतंत्र का पवित्र स्थल बन गया था। जब विपक्ष की आवाज़ अंदर दबाई जाती थी तो सांसद वहाँ जाकर धरना-प्रदर्शन करते थे। देश-विदेश से दर्शक भी आकर देखते थे।

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