आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में ईवीएम मुक्त भारत अभियान की शुरुआत हुई। देश में ईवीएम के खिलाफ कोने कोने में आवाज उठ रही है। इंडिया गठबंधन की ओर से इस मामले में करीब सात महीने से चुनाव आयोग से समय मांगा जा रहा है, लेकिन कोई उत्तर अब तक नहीं मिला। इसके अलावा पूरे देश में जन आंदोलन की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर एक मंच का बनाना आवश्यक हो गया है, जो ‘ईवीएम मुक्त भारत अभियान’ के नाम से होगा। ईवीएम मुक्त भारत राजनैतिक, सामाजिक, नागरिक समाज सहित विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व है और यह गैर राजनैतिक होगा। दुनिया के बड़े और स्वस्थ जनतान्त्रिक देशों ने भी ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव कराना शुरू कर दिया है। चुनाव आयोग निष्पक्ष रहा नहीं। इसके अलावा ईवीएम और वीवीपैट के कारण संदेह और गहरा हो गया है। जब तक पेपर बैलेट से चुनाव होता था, तब काफी हद तक चुनाव आयोग के नियंत्रण में प्रक्रिया हुआ करती थी। ईवीएम के प्रवेश से भारत सरकार की तमाम एजेन्सीस जैसे भारत एलेक्ट्रॉनिक्कस लिमिटेड, इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया और निजी क्षेत्र से टेक्निकल लोग शामिल हो गए हैं, ऐसे में तो निष्पक्षता का होना लगभग असंभव है। एक आम दलील यह दी जाती है की बैलेट पेपर से चुनाव कराना खर्चीली प्रक्रिया है, जो एक बहुत बड़ा भ्रम है। बैलेट पेपर से चुनाव कराने में 2 सप्ताह की तैयारी चाहिए। अगर यह नहीं संभव है तो वीवीपैट की पर्ची वोटर के हाथ में दी जाए और वह एक डिब्बे के अंदर स्वयं डाल दे। वीवीपैट की पर्ची की गिनती कर ली जाए, जिससे कि सारे संदेह समाप्त हो जाएं।
ईवीएम मुक्त भारत अभियान की अवधारणा के समय यह निर्णय लिया गया है, कि एक कमेटी का गठन किया जाए। शुरुवाती दौर की कमेटी में निम्नलिखित नाम हैं और अभियान शुरू होने के बाद लोग जुडते जाएंगें और आवश्यकतानुसार सांगठनिक ढांचे में भी परिवर्तन होता रहेगा - सर्वश्री दिग्विजय सिंह, दीपक बाबरिया, उदित राज, एम. जे. देवाशहायम (सिटीजन इलेक्शन कमीशन), वामन मेश्राम (बामसेफ), कामरेड दीपांकर भट्टाचार्या (सीपीआईएमएल), गुरनाम सिंह चढूनी (एसकेएम नेता), स्मिता कमले (इंडिया अगेन्सट ईवीएम), एडवोकेट महमूद प्राचा, राजेन्द्र पाल गौतम (एमएलए), अशोक शर्मा (पूर्व राजदूत), गौतम लहरी (प्रेसीडेंट, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया)।
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